खोदावंदपुर (बेगूसराय), 24 जुलाई 2025: सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) खोदावंदपुर में शुक्रवार को आयोजित दिव्यांगता प्रमाणन शिविर में कुल 64 लाभार्थियों ने पंजीकरण कराया, जिनमें 7 नेत्र रोगी एवं 57 अन्य प्रकार के दिव्यांगजन शामिल थे। शिविर में स्वास्थ्य जांच, प्रमाणन, परामर्श एवं प्रमाणपत्र निर्गमन की प्रक्रिया संचालित की गई।
इस शिविर में डॉ. दिनेश आनंद, डॉ. अनिल प्रसाद, नेत्र सहायक सरिता, GNM सुनील कुमार, GNM मोनिका कुमारी, एवं स्वास्थ्य प्रबंधक सत्येन्द्र कुमार की अहम भूमिका रही।
डॉ. दिनेश आनंद ने जानकारी दी कि शिविर का उद्देश्य दिव्यांगजनों को प्रमाण पत्र मुहैया कराना और सरकारी योजनाओं से जोड़ना था। स्वास्थ्य प्रबंधक सत्येन्द्र कुमार ने भी आश्वस्त किया कि आगे और शिविर आयोजित किए जाएंगे जिससे अधिक से अधिक लोग लाभान्वित हो सकें।
सूचना की कमी से कई दिव्यांग वंचित, नाराजगी व्यक्त
हालांकि इस शिविर के बाद कई दिव्यांगजनों ने सूचना की कमी को लेकर नाराजगी जताई।
बाड़ा निवासी कैलाश जाने, जो दोनों आंखों से दिव्यांग हैं, ने बताया:
"हम कई बार विभिन्न दफ्तरों का चक्कर लगा चुके हैं। खोदावंदपुर प्रखंड मुख्यालय और चेरियाबरियारपुर प्रखंड अंतर्गत मंझौल में आयोजित अनुमंडल अस्पताल शिविर में भी जांच एवं कागजात जमा किया था, लेकिन आज तक हमें विकलांगता प्रमाणपत्र यानी यूडीआईडी नहीं मिला।"
उन्होंने आगे कहा:
"इस बार के शिविर की जानकारी भी हमें किसी स्वास्थ्यकर्मी या आशा कार्यकर्ता से नहीं मिली। ऐसे में हमारे जैसे अनेक दिव्यांगजन इस प्रमाणपत्र से वंचित रह गए।"
उन्होंने मांग की कि स्वास्थ्य विभाग जल्द ही नया शिविर आयोजित करे तथा आशा कार्यकर्ताओं को निर्देशित किया जाए कि वे अपने क्षेत्र में शिविर की जानकारी प्रत्येक लाभुक तक पहुंचाएं।
प्रशासन से अपेक्षा
स्थानीय दिव्यांगजनों ने यह भी अपेक्षा जताई है कि भविष्य में प्रचार-प्रसार की व्यवस्था सुदृढ़ की जाए, ताकि हर पात्र व्यक्ति तक सही समय पर सूचना पहुंचे और कोई भी वंचित न रह जाए। साथ ही यह देखना होगा कि विभाग कैलाश जैसे मामलों पर क्या कार्रवाई करता है और प्रमाण पत्र जारी करने की लंबित प्रक्रिया को कब तक पूरा किया जाता है।
अब बड़ा सवाल – जिम्मेदार कौन?
अब सवाल यह उठ रहा है कि:
- आख़िर दिव्यांगजनों को शिविर की जानकारी देने की जिम्मेदारी किन कर्मियों को दी गई थी?
- और अगर जिम्मेदारी दी गई थी, तो फिर जानकारी संबंधित लाभुकों तक क्यों नहीं पहुँची?
- क्या स्वास्थ्य विभाग ने समय पर प्रचार किया?
क्या आशा कार्यकर्ताओं को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे?
अगर दिए गए थे, तो फिर क्यों कई पंचायतों के दिव्यांगजन जानकारी से वंचित रह गए?
इन सवालों पर अब जनता और दिव्यांगजन स्वास्थ्य प्रबंधक से जवाब और कार्रवाई की माँग कर रहे हैं।
कार्रवाई की उम्मीद या फिर अगले शिविर तक इंतज़ार?
स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की ओर से यह मांग भी उठ रही है कि विभाग यह सुनिश्चित करे कि आशा कार्यकर्ताओं और स्वास्थ्यकर्मियों की जवाबदेही तय की जाए।
अब देखना यह होगा कि क्या स्वास्थ्य प्रबंधक सत्येन्द्र कुमार जिम्मेदार कर्मियों पर कार्रवाई करते हैं, या फिर मामला अगली तिथि के शिविर तक खींचता रहेगा।
रिपोर्ट: CTV Bihar News
स्थान: खोदावंदपुर, बेगूसराय