विश्व स्तनपान सप्ताह की शुरुआत, सत्यदर्शी कुमार ने बताया – मां का दूध है शिशु का पहला टीका

 


  • विश्व स्तनपान सप्ताह की शुरुआत, सत्यदर्शी कुमार ने बताया – मां का दूध है शिशु का पहला टीका
  • खोदावंदपुर में जागरूकता अभियान शुरू, 7 अगस्त तक चलाया जाएगा विशेष कार्यक्रम


खोदावंदपुर (बेगूसराय)। प्रत्येक वर्ष 1 अगस्त से 7 अगस्त तक मनाया जाने वाला विश्व स्तनपान सप्ताह शुक्रवार से प्रारंभ हो गया है। इसी क्रम में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, खोदावंदपुर के सौजन्य से विभिन्न पंचायतों में स्तनपान को लेकर जागरूकता अभियान शुरू किया गया है।


इस अवसर पर प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक सत्यदर्शी कुमार ने बताया कि

 "नवजात शिशु के लिए मां का दूध एक संपूर्ण और प्राकृतिक आहार है, जिसे जन्म के एक घंटे के भीतर देना चाहिए। यह न केवल बच्चे के पोषण के लिए जरूरी है, बल्कि उसे जीवन की शुरुआत में कई बीमारियों से भी सुरक्षित करता है।"


उन्होंने कहा कि नवजात को जन्म के छह महीने तक केवल मां का दूध ही देना चाहिए। इस दौरान न तो पानी देना चाहिए और न ही कोई अन्य खाद्य पदार्थ। मां का दूध बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ उसे डायरिया, निमोनिया, कुपोषण और संक्रमण जैसे रोगों से भी बचाता है।

सत्यदर्शी कुमार ने गिनाए स्तनपान के लाभ

प्रबंधक ने विस्तार से बताया कि स्तनपान से न केवल बच्चों को फायदा होता है, बल्कि यह माताओं के स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है। इससे प्रसव के बाद शरीर में रक्तस्राव कम होता है, गर्भाशय जल्दी सामान्य आकार में आता है और महिलाओं में स्तन कैंसर की आशंका भी कम हो जाती है।

उन्होंने कहा कि जो महिलाएं अपने बच्चों को स्तनपान कराती हैं, उनमें गर्भनिरोधक प्रभाव भी देखने को मिलता है। यानी इससे अनचाहे गर्भ को भी कुछ हद तक रोका जा सकता है।

गांव-गांव चलाया जा रहा जागरूकता अभियान

स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए जा रहे इस सप्ताह के तहत आशा कार्यकर्ता, एएनएम और अन्य फ्रंटलाइन हेल्थ वर्कर्स के सहयोग से गांवों में भ्रमण किया जा रहा है। स्वास्थ्य कर्मी नवप्रसूता महिलाओं को स्तनपान के महत्व के बारे में जानकारी दे रहे हैं और व्यवहार में लाने की अपील कर रहे हैं।

सत्यदर्शी कुमार ने कहा कि इस अभियान का मुख्य उद्देश्य यह है कि हर मां अपने नवजात को 'पहला दूध' यानी कोलोस्ट्रम जरूर पिलाए, जो बच्चे के लिए जीवन का पहला और सबसे जरूरी पोषण होता है।

सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं रहेंगी सक्रिय

सप्ताह भर चलने वाले इस अभियान के अंतर्गत गोष्ठी, पोस्टर प्रदर्शनी, समूह चर्चा, नुक्कड़ नाटक और स्लोगन प्रतियोगिता जैसी गतिविधियों के जरिए समुदाय में स्तनपान के प्रति सकारात्मक माहौल तैयार किया जाएगा।

अंत में सत्यदर्शी कुमार ने कहा —

"अगर हर मां स्तनपान को लेकर जागरूक हो जाए, तो कुपोषण जैसी समस्याएं काफी हद तक कम हो सकती हैं। यह न सिर्फ एक व्यक्तिगत जिम्मेदारी है, बल्कि समाज के स्वास्थ्य के लिए भी एक सामूहिक योगदान है।"