बिहार के मधेपुरा ज़िले के नगर परिषद क्षेत्र अंतर्गत जयपालपट्टी मोहल्ले से एक बेहद हैरान करने वाली घटना सामने आई है। यहां की एक महिला के वोटर आईडी कार्ड में उनकी फोटो की जगह खुद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीर छप गई है। इस शर्मनाक त्रुटि ने एक बार फिर प्रशासनिक व्यवस्था और डिजिटल दस्तावेज़ प्रणाली की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पति ने मीडिया के सामने उठाई आवाज़
इस चौंकाने वाले मामले का खुलासा महिला के पति चंदन कुमार ने किया। बिहार बंद के दिन जब वे मीडिया से मुखातिब हुए, तो उन्होंने अपनी पत्नी का वोटर कार्ड दिखाते हुए कहा कि इतनी बड़ी गलती होना एक सामान्य तकनीकी त्रुटि नहीं, बल्कि बड़ी लापरवाही का प्रमाण है।
उन्होंने कहा –
> "सरकार एक तरफ डिजिटल इंडिया और स्मार्ट वोटिंग की बात करती है, वहीं दूसरी ओर आम जनता के महत्वपूर्ण दस्तावेजों में इस तरह की मूर्खतापूर्ण गलतियां हो रही हैं। क्या एक आम नागरिक की पहचान की कोई अहमियत नहीं रह गई?"
प्रशासन पर गंभीर सवाल
यह मामला उस समय और भी गंभीर हो जाता है जब यह सोचा जाए कि मुख्यमंत्री जैसी संवेदनशील और सार्वजनिक छवि वाली व्यक्ति की फोटो आम नागरिक के दस्तावेज़ में कैसे छप सकती है? क्या डेटा एंट्री ऑपरेटर ने जानबूझ कर ऐसा किया या यह सिस्टम की गलती थी – इसकी जांच होनी अत्यंत आवश्यक है।
स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने भी इस मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग और जिला प्रशासन से तत्काल जांच की मांग की है। लोगों का कहना है कि यदि इस तरह की गलतियां अनदेखी की जाती रहीं, तो भविष्य में चुनावी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग जाएगा।
वोटर पहचान प्रणाली की साख पर असर
वोटर आईडी कार्ड नागरिक की पहचान का सबसे अहम दस्तावेज़ होता है। यदि इसमें इस तरह की त्रुटियाँ होने लगें तो न सिर्फ व्यक्ति का भरोसा टूटता है, बल्कि चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता भी खतरे में पड़ जाती है।
प्रशासन का पक्ष अब तक अस्पष्ट
इस विषय में अब तक प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन आशा की जा रही है कि संबंधित अधिकारी इस पूरे मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे और संबंधित महिला को सही वोटर कार्ड दोबारा जारी किया जाएगा।