बेगूसराय: शहर की सबसे पुरानी दुर्गा मंदिर बुढ़ी दुर्गा मां की विदाई बेटी की तरह रविवार को की गई। उनकी विदाई से पहले जिस तरह से बेटी मायके से ससुराल जाती है ,तो उनकी गोद भराई के साथ सारे रस्म को पूरे किए जाते हैं। वैसे ही बुढ़ी माँ को भक्त श्रद्धालु महिलाओं ने उनकी विदाई की।
32 कहारो के कंधे के सहारे होती है बूढी मां का विसर्जन-- बेगूसराय में अभी भी बुढ़ी दुर्गा महारानी के विसर्जन की खास विशेषता है ।उनका विसर्जन 32 कहारो के कंधों के सहारे दुर्गा मंदिर से विसर्जन के लिए निकलती है। बुढ़ी दुर्गा मां को किसी ट्रॉली या वाहन पर चढ़ाकर विसर्जन के लिए नहीं ले जाया जाता है। बल्कि उन्हें कहार अपने कंधे पर उठाकर विसर्जन के लिए मंदिर से शहर के बड़ी पोखर तक ले जाते हैं।
मंदिर से दुर्गा मां का प्रतिमा विसर्जन के निकालने के बाद पहले मेंन मार्केट में पटेल चौक पर पहुँचते है। उन रास्ते को पहले जल से धोया जाता है ।फिर वहां फूलों की वर्षा कर सड़क पर फूल बिछाया जाता है। विसर्जन के रास्ते में जहां-जहां प्रतिमा मां का रखा जाता है ,वहां पर रंगोली बनाकर फूल को बिछाया जाता है। उसके बाद मां के प्रतिमा को रखा जाता है। रविवार को बूढी मां के प्रतिमा विसर्जन के दौरान पटेल चौक से लेकर पूरे मेंन मार्केट व नगर थाना चौक पर इसी तरह का नजारा देखने को मिला। मां की प्रतिमा विसर्जन के समय मानर व झाल, करताल बजाकर जहां-जहां उनकी प्रतिमा रखी जाती थी। वहां पर श्रद्धालु भक्तो ने माँ को भजन गाकर सुनाया।
पटेल चौक से लेकर मेन मार्केट रोड में जगह-जगह मां की प्रतिमा को रखकर श्रद्धा समर्पण के साथ मां की भव्य आरती की गई । जिसमें हजारों लोग मां के विसर्जन में महिलाएं, पुरुष व बच्चे शामिल हुए । मां आरती का विहंगम दृश्य देखते ही बन रहा था। दुर्गा जी के प्रतिमा विसर्जन को लेकर साथ में मजिस्ट्रेट और पुलिसकर्मी भी सुरक्षा में चल रहे थे। दुर्गा जी के प्रतिमा विसर्जन का सिलसिला शहर के बड़ी पोखर में शाम 5:30 बजे से लेकर देव रात्रि तक जारी था। बड़ी पोखर पर गोताखोर के साथ लाइटिंग की भी व्यवस्था कराई गई थी। दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन को लेकर बड़ी पोखर के चारों तरफ श्रद्धालु भक्तों की अपार भीड़ वहाँ देखने के लिए जमा थी।