पटना: बिहार में ऑटोमेटेड फिटनेस टेस्टिंग स्टेशनों के जरिए एक बड़ा घोटाला सामने आया है। दूसरे राज्यों की गाड़ियों की भी बिना फिजिकल जांच के केवल फोटो के आधार पर फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किए जा रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, "फोटो भेजिए और सर्टिफिकेट पाइए" — इसी फॉर्मूले पर यह गोरखधंधा बड़े पैमाने पर चल रहा है।
परिवहन नियमों के अनुसार, टेस्टिंग स्टेशन किसी भी राज्य की गाड़ी की जांच कर सकते हैं, लेकिन यह जांच फिजिकल इंस्पेक्शन और मशीन टेस्ट पर आधारित होनी चाहिए। मगर, बिहार के कई केंद्रों पर बाहरी वाहनों की सिर्फ फोटो जांच कर फर्जी फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किया जा रहा है।
सचिव से संपर्क नहीं हो सका, जांच की मांग
इस मामले में हमने परिवहन विभाग के सचिव से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है।
पिछले वर्ष पर भी उठ चुके हैं सवाल
गौरतलब है कि पिछले वर्ष बिहार के तीन फिटनेस सेंटरों की बुकिंग पर रोक लगाई गई थी, लेकिन कुछ ही समय बाद वे फिर से चालू हो गए। उस समय भी इन केंद्रों की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठे थे।
उड़ीसा ने भी खोला था पोल
उड़ीसा राज्य के परिवहन आयुक्त ने भी बिहार के इन फिटनेस केंद्रों द्वारा दूसरे राज्यों की गाड़ियों को अनियमित तरीके से सर्टिफिकेट देने की शिकायत की थी। इस संबंध में रिपोर्ट केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को भेजी गई थी।
🛑 बड़ा सवाल:
क्या ये खेल प्रशासन की नाक के नीचे हो रहा है या फिर मिलीभगत के तहत?
क्या अब केंद्र सरकार कोई कार्रवाई करेगी?