नालंदा जिले में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए विशेष निगरानी इकाई (Special Vigilance Unit) ने शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी को रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया है। आरोपी अधिकारी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (DPO) अनिल कुमार हैं, जिन्हें हिलसा अनुमंडल से 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया।
कॉलेज कमेटी गठन के नाम पर मांगी थी रिश्वत
सूत्रों के अनुसार, अनिल कुमार ने महथ विद्यानन्द इंटर कॉलेज में जांच कमेटी के गठन के एवज में कॉलेज प्रबंधन से 20 हजार रुपये की मांग की थी। शिकायत मिलने के बाद विशेष निगरानी इकाई ने तुरंत कार्रवाई की योजना बनाई और एक जाल बिछाकर आरोपी को रंगेहाथ पकड़ने की रणनीति बनाई।
प्लान के अनुसार, जैसे ही अनिल कुमार ने तयशुदा राशि ली, विजिलेंस की टीम ने मौके पर ही दबिश देकर उन्हें धर दबोचा। इस दौरान सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए वीडियो और अन्य सबूतों के साथ कार्रवाई को अंजाम दिया गया।
पटना ले जाकर हो रही पूछताछ
गिरफ्तारी के बाद आरोपी डीपीओ अनिल कुमार को पटना मुख्यालय ले जाया गया, जहां उनसे पूछताछ की जा रही है। विशेष निगरानी इकाई यह पता लगाने में जुटी है कि इस घूसखोरी के पीछे कोई बड़ा नेटवर्क या रैकेट तो सक्रिय नहीं है।
शिक्षा विभाग में हड़कंप, अधिकारियों में डर का माहौल
इस गिरफ्तारी के बाद नालंदा जिला शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी का रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ा जाना पूरे विभाग के लिए गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। वहीं विभागीय सूत्रों की मानें तो कुछ और अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा सकती है।
निगरानी इकाई की सख्त चेतावनी
विशेष निगरानी इकाई के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस कार्रवाई को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त संदेश बताया है। उन्होंने कहा कि कोई भी अधिकारी या कर्मचारी यदि घूस लेते पकड़ा गया तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
जनता ने की कार्रवाई की सराहना
स्थानीय लोगों और शिक्षाविदों ने इस कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा है कि शिक्षा जैसे पवित्र क्षेत्र में भ्रष्टाचार की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। यदि सभी जिलों में इसी प्रकार की कड़ी निगरानी रखी जाए, तो शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और विश्वास दोनों लौटाए जा सकते हैं।
क्या कहता है कानून?
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत रिश्वत लेने वाले सरकारी अधिकारी को सात वर्ष तक की सजा और आर्थिक दंड का प्रावधान है। यदि जांच में दोष सिद्ध हुआ तो आरोपी पर निलंबन और सेवा समाप्ति जैसी प्रशासनिक कार्रवाई भी हो सकती है।
निष्कर्ष
हिलसा में हुई यह कार्रवाई स्पष्ट संकेत देती है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ अब सरकार और निगरानी एजेंसियां पहले से अधिक सख्त रुख अपना रही हैं। आम नागरिकों की भागीदारी और सतर्कता से ऐसे मामलों में और तेजी लाई जा सकती है।
📌
यदि आपके पास भी किसी विभाग में भ्रष्टाचार की जानकारी है, तो आप बिहार विशेष निगरानी इकाई की हेल्पलाइन या वेबसाइट पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। आपकी पहचान गोपनीय रखी जाएगी।