📚 बिहार के स्कूलों की जमीनी हकीकत: बेगूसराय के असुरारी विद्यालयों में ACS ने पाया शिक्षा व्यवस्था बदहाल



बेगूसराय | 19 जुलाई 2025 बिहार में शिक्षा सुधार के बड़े-बड़े दावों की असलियत शनिवार को तब उजागर हुई जब राज्य के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (ACS) डॉ. एस. सिद्धार्थ ने बेगूसराय के बरौनी प्रखंड के दो सरकारी विद्यालयों का अचानक निरीक्षण किया।

बिना पूर्व सूचना के पहुंचे ACS को देख विद्यालयों में कुछ देर के लिए हड़कंप मच गया। निरीक्षण के दौरान सामने आई खामियों ने शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी।

🏫 निरीक्षण स्थल:

उत्क्रमित मध्य विद्यालय, असुरारी

उच्च माध्यमिक विद्यालय, असुरारी

🔍 विद्यालयों की हालत देख भड़के ACS

  • निरीक्षण के दौरान डॉ. सिद्धार्थ ने जब कक्षाओं की हालत देखी तो वे स्पष्ट रूप से नाराज़ हो गए। निम्न खामियाँ पाई गईं:
  • कई कक्षाओं में बिजली के बल्ब नहीं थे, जिससे अंधेरा पसरा हुआ था
  • पंखों की संख्या कम थी और कई बंद पड़े थे
  • एक कमरे में पुरानी किताबों और कबाड़ का ढेर लगा हुआ था
  • साफ-सफाई की स्थिति अत्यंत खराब थी


इन स्थितियों को देखकर ACS ने विद्यालय के प्रधानाध्यापक अनिल कुमार राय को फटकार लगाई और तत्काल सुधार के निर्देश दिए।

🧓 अभिभावकों ने खोली स्कूल की परतें

निरीक्षण के दौरान जब ACS ने उपस्थित अभिभावकों से फीडबैक मांगा, तो समस्याओं की लंबी फेहरिस्त सामने आ गई:

छात्रवृत्ति की राशि नहीं मिल रही है

शिक्षकों की भारी कमी है

मिड-डे मील नियमित नहीं मिलता

स्कूल में साफ-सफाई की हालत बेहद खराब है

स्कूल तक पहुंचने का रास्ता भी जर्जर है

अभिभावकों ने कहा कि कई बार शिकायतें करने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं होती।

⚠️ ACS ने जताई कड़ी नाराजगी, दिए सख्त निर्देश

डॉ. एस. सिद्धार्थ ने समस्याओं को गंभीरता से लिया और स्कूल प्रबंधन को साफ शब्दों में चेताया कि:

 
"शिक्षा व्यवस्था से किसी भी तरह का समझौता बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यदि जल्द सुधार नहीं हुआ तो जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।"

ACS ने भरोसा दिलाया कि सभी शिकायतों को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाएगा और जल्द ही व्यवस्था में सुधार के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे।

📌 प्रशासनिक समीक्षा या दिखावे की सच्चाई?

बिहार में शिक्षा सुधार को लेकर कई योजनाएं और घो1षणाएं होती रही हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत इस निरीक्षण में सामने आई। बिना तैयारी और संसाधनों के विद्यालयों में पढ़ाई कैसे हो सकती है, यह बड़ा सवाल बनकर उभरा है।